Sunday, June 7, 2009

"ए नीता"

भूल नही शकते तुम्हेंयाद करके परेशां हैजी नही शकते तुम्हारे बिनामौत के बग़ैर परेशां हैहुवे नही तुम अपने तोक्या हुवा ?दूर हो गए तुम्हारी जिन्दगी सेएक दिन तुम ही कहोगे किआ जाओ वापस"ए नीता"
तुम्हारे बिना हम परेशां है ।नीता कोटेचा

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर अहसास | धन्यवाद|

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  2. वाह...आप बहुत अच्चा लिखती हैं नीता जी...लिखते रहिये...

    नीरज

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